हो रही थी बात |
वही खनकती आवाज,
वही सादगी आज भी |
दूर होते हुए भी हो रहा था,
आत्मीयता का आभास |
थोड़ी हडबडाहट थी उनमे,
जैसे पूछ लेना चाहती हो,

सबकुछ चंद समय में |
बड़ी ही उत्सुकता से बताया,
अपनी बच्ची नाम,
जो कि बिल्कुल वही था,
जिसकी कभी हम कल्पना करते थे |
बातों ही बातों में बनाते थे घर,
और रखते थे सबके नाम |
हंसते हुए बोल पडी,
कितना अच्छा है संयोग,
कि हो रही है आपसे बात |
मैंने पुछा, दुबारा...फिर...कब.......
आह भरती हुई कहती गयी,
हो जाया करेगा ऐसा ही संयोग |
खुश हूँ मैं भी इस संयोग पर,
लेकिन कहूँ क्या इसे,
प्रेम या पूर्वाग्रह .............|