Wednesday, February 24, 2010

सचिन का जोश और जोशी जी की कमी

प्रभाष जी, आज फिरआपके सचिन ने दक्षिण अफ्रीका के गोलंदाजों को जमकर धोया । इतना ही नहीं उसने तो फटाफट (वन-डे) क्रिकेट में दोहरा शतक भी लगाया । जानते हैं प्रभाष जी अपने सचिन ने 13 सालों से चले आ हे शईद अनवर के रिकोर्ड को भी ध्वसत कर दिया । आप तो आज देखे ही नहीं क्रिकेट, उनने तो 90 गेंद मे ही अपना शतक पूरा कर लिया और गेंद को रूई की तरह धूनते-धूनते शईद का जो 194 वाला रिकार्ड था न उसे भी नहीं छोड़ा ।

आज तो ऐसे ताबड़-तोड़ खेल रहा था कि क्या बतायें, ऐसा लग रहा था जैसे ये फिर से 19-20 साल का छोरा हो गया हो । हद हो गया, दिनेश कार्तिक, युसुफ पठान. धोनी सब इस छोरे के रंग मे ही रंगे दिखे । सबने जमकर इसका साथ दिया । आज तो आपके छोरे ने फटा-फट में दोहरा शतक ठोक इतिहास रच दिया । कॉलोनी के बच्चे आज आपसे दो-दो टॉफी लेंगे ।

देखिये तो सचिन ने दोहरा शतक क्या लगाया और दोस्तों के मैसेजेज आने शुरु हो गये । मुझे भी खुशी हुई । लेकिन तुरंत ही कुछ कमी लगने लगी ।

काश आज प्रभाष जी होते ।

क्रिकेट के प्रति उनका प्रेम तो जगजाहिर था । हिंदी पत्रकारिता में भी खेलों की खबरों को उनने रुचिकर बना दिया था । सुनील गवास्कर, कपिल किसको नहीं लिखा उन्होने । सराहा भी जरूरत पडने पर आलोचना भी की ।

उनके जाने की खबर जब सचिन को लगी तब तक सचिन सत्रह हजारी हो चुके थे । खबर सुनते ही सचिन ने कहा था कि इस खबर ने उसे बहुत आहत किया है । सचिन खुद कहते हैं कि उनके लिखे को पढ कर मुझे सीखने को मिलता है

सचिन को खेलते देख उन्हें शुकून मिलता था । वो क्रिकेट को आँखों से नही दिल से देखते थे । पिछले साल पाँच नवंबर का दिन । इसी दिन सचिन सत्रह हजारी हुए थे, ऑसट्रेलिया के खिलाफ धुऑ-धार खेलते देख जोशी जी ने जनसत्ता के दफ्तर फोन किया कि आज के क्रिकेट का रिपोर्ट वो खुद लिखेंगे । लेकिन उपर वाले को कुछ और ही मंजूर था ।

आज भी जब सचिन ने दोहरा शतक लगाया तो एक पल को लगा कि कागद-कारे में कुछ मजेदार पढ़ने को मिलेगा । मेरे जैसा आदमी भी कागद-कारे पढ़ दोस्तों के सामने कुछ शेखी बघार लेता था ।

जनसत्ता के पाठकों को सचिन के इस बेजोड़ प्रदर्श पर कागद-कारे और प्रभाष जी की कमी जरूर खलेगी ।


नोटे; इस आलेख को आप www.mediakhabar.com पर भी पढ़ सकते हैं ।

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