जो प्रेम दिल में पनपा था
सब भाव-विह्वल मन का था
चंचल-नटखट भोली सि सूरत
बस देख मन पुलकित होता था
वो प्रेम की स्वाति किरण सि थी
मैं प्यासा चातक दीखता था
वो पुष्प की कोमल पंखुडी सी
मैं बूंद ओस सा लिपटा था
हौले से जब कुछ कहती थीं
मैं मंद-मंद मुस्काता था
वो शशि सि शीतल लगती थी
मैं चकोर सा उनको ताकता था
कुछ कहते-कहते थीं सो गयी वो
सिरहाने मैं उनके बैठा था
वात्सल्य था एक प्रेम में उनके
और मैं बालक बन जता था
मैं अकिंचन करता भी क्या
बस प्रेम का सागर रखता था
वात्सल्य था एक प्रेम में उनके
ReplyDeleteऔर मैं बालक बन जता था
bahut hi khub .............badhaaee
प्यारका ये एक सुंदर , नाज़ुक ,अनोखा रूप ...! बड़ा अच्छा लगा पढ़के ...हमारे मनमे हमेशा एक बालक /बालिका का अस्तित्व होता है ..बड़े बननेके नकाब मे हम उसे दबा देते हैं ..जहाँ दबाया नही जाता , वहाँ सुख , शांती , और सरलता बस्ती है ..! उलझने कम होती हैं..!
ReplyDeleteyaad aa gaya gulzaar likha wo ajramar geet,
" hamne dekhee hai,un aankhon kee mahktee khushboo.." pyarkee koyee parbhasha nahee ho saktee...
http://shamasnsmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
shashi haalanki main tumhari yeh kavita tumhare hi muh se sun chuki hoon par yahan padh kar aek baar phir kehna chahti hun..
ReplyDeleteवो पुष्प की कोमल पंखुडी सी
मैं बूंद ओस सा लिपटा था
behad khoobsoorat aur paak
बहुत ही सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसागर जी , यहाँ सि की जगह सी होना चाहिये न..?.या मै गलत हूँ...?
आपका स्वागत है.
गुलमोहर का फूल
आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं
ReplyDeletesaari tarif to sabne kar di bt itna hi kahna chahungi Heart Touchable poetry
ReplyDeleteआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी
BHAUT SUNDER ATI SUNDER ALL THE BEST
ReplyDeleteSI JI
वो शशि सि शीतल लगती थी
ReplyDeleteमैं चकोर सा उनको ताकता था...
wah behad khoobsurat..
shashi da bahut khoob apne shakespeare ki kavita all the world is astage ki yaad dila di vatsalya wali pankti mujhe bahut acchi lagi waise apki rachna bahut hi sadhi hai
ReplyDeleteठगा सा लग रहा हूँ आज ऐसे
ReplyDeleteकुछ बच्चे हों जैसे फुसलाये हुए
kabiletarif...........upma.......shubhkanaye
hii shashi ji yahi wo kavita thi jo mujhe bahut achi lagi thi...really soooo.....mind blowing......bahtu hi jyada achchi hai
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