तुझको कमल लिखूं या तुझको ग़ज़ल लिखूं
पाकर तुझे मैं जिंदगी को अब सफल लिखूं
मैं जानता ही कुछ नहीं इसके सिवा सनम
आज तो है तू मेरा तुझको ही कल लिखूं
तू ही मेरी किस्मत है उस खुदा का शुक्रिया
जिंदगी को अब तो मैं सुन्दर सरल लिखूं
शब्दों में तुझको अब मैं बांधूंगा क्या भला
ममता का तुझको मैं अब बस आँचल लिखूं
दूरियों का क्या भला मुहब्बत से वास्ता
पास तुझको ही लिखूं तुझको बगल लिखूं
क्या लिखा है किस्मत में इसकी फिक्र किसे
तेरे नाम जिंदगी का इक-इक पल लिखूं
तारीफ तेरी क्या करूँ मुझको पता नहीं
लिखता हूँ जब भी तुझको मैं तो धवल लिखूं
हिज्र अब लिखूं या प्रेम मैं लिखूं
सागर बता तेरे लिए कैसी ग़ज़ल लिखूं
तारीफ तेरी क्या करूँ मुझको पता नहीं
ReplyDeleteलिखता हूँ जब भी तुझको मैं तो धवल लिखूं
सागर साहेब धवल शब्द का प्रयोग बहुत दिलकश रहा आपकी ग़ज़ल में...बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने...पढ़ कर दिल खुश हो गया...लिखते रहें...
नीरज
sagar sahab.. waise to aapse pahle hee ru-baroo ho gaya tha.. magar blog kee duniya me aapko dekhkar achha laga... garmjoshi ke saath swagat hai aapka is jagat me...
ReplyDeletebahut umda ghzal hai jaisa ki neeraj bhai ne bhee kaha hai...
blog ki duniya me apka savagat hai
ReplyDeletekhooshi hai ki ab apki rachnayen kahin bhi kabhi bhi padh sakta hunnnnnnn
vaise is gajal ke baare me kya kahoon bas itana ki lakabab hai
saagar ki gehrai ko jaise koi map nahi sakta waise hi apki lekhni bhi gahrai ke sath kuch likhti hai main shabdon ka dhani to nahi lekin aapki taaarif mein jo likh raha hoon wo shayd kam hoga ''lekhni ko chalne do sagar ko kuch aur kehne do wo likhein isi tarah aur unki likhne ki takat unke paas rehne do''
ReplyDeleteमैं जानता ही कुछ नहीं इसके सिवा सनम
ReplyDeleteआज तो है तू मेरा तुझको ही कल लिखूं
waah bahut sunder rachana badhai
नीरज जी, विकास जी, रहुल जी, गौतम बाबु और महक जी....बहुत-बहुत शुक्रिया, आपके प्रोत्साहन और स्नेह को पा मन प्रसन्न हो गया ।
ReplyDeletesahi hai bhai.....mast ja rahe ho...... keep it up......
ReplyDeletehahaha...
ReplyDeletebhaiya...anuj to aapka hi hun na....isse jya kya kahun..
prasannata hui aapko yahan dekh kar
Sagar Bhai...
ReplyDeleteBehad Khoobsurat Gazal Hui hai..11
shukiya akhilesh babu..
ReplyDeleteaapse maargdarshan kee v ummid hai