मैं नहीं कहता,
मुझे प्यार करो|
मिलो-जुलो मुझसे,
मेरी जरूरतों को पूरा करो|
मैं तो करता भी नहीं,
चर्चा कभी तुम्हारी|
हाँ रोकता नहीं उन्हें,
जो तुझे मुझमे देखते हैं|
बेशक तुम भूल जाओ,
मुझे, मेरी यादों को,
तुम्हारे ही हित में होगा|
आत्म संयम ये तुम्हारा,
जायज है तुम्हारे लिए|
जब मुझे नहीं कोई दिक्कत,
तुम्हारे किसी भी निर्णय से |
फिर तुम्हें क्या है परेशानी,
मैं भूलूँ या फिर याद रखूं|
koi pareshani hogi par ......unhe to janane ka haq to hai na ........khubsoorat rachana..
ReplyDeleteshukriya om babu
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
arshiya ji...
ReplyDeletewaqt dene k liye bahut-bahut shukriya...
aapko v janmashtamee mubarak ho...
sagar jee,
ReplyDeleteis rachna ko pahle bhi padhi hun, bahut hin khubsurti se prem ko paribhaashit kiya hai, kaise samaaj kee paabandi zindgi kee pabandi ban jati hai. bahut shubhkamnayen.
jenny ji bahut-bahut shukriya..
ReplyDeletebal milta hai aapke sneh ko pakar
mai hindi k bhari-bharkam shabd to nahi likh sakta par teri sari rachnaye bahut aachi hai.
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