Thursday, August 13, 2009

भूलूँ या फिर याद रखूं

मैं नहीं कहता,
मुझे प्यार करो|
मिलो-जुलो मुझसे,
मेरी जरूरतों को पूरा करो|
मैं तो करता भी नहीं,
चर्चा कभी तुम्हारी|
हाँ रोकता नहीं उन्हें,
जो तुझे मुझमे देखते हैं|
बेशक तुम भूल जाओ,
मुझे, मेरी यादों को,
तुम्हारे ही हित में होगा|
आत्म संयम ये तुम्हारा,
जायज है तुम्हारे लिए|
जब मुझे नहीं कोई दिक्कत,
तुम्हारे किसी भी निर्णय से |
फिर तुम्हें क्या है परेशानी,
मैं भूलूँ या फिर याद रखूं|

7 comments:

  1. koi pareshani hogi par ......unhe to janane ka haq to hai na ........khubsoorat rachana..

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  2. जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
    ( Treasurer-S. T. )

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  3. arshiya ji...
    waqt dene k liye bahut-bahut shukriya...
    aapko v janmashtamee mubarak ho...

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  4. sagar jee,
    is rachna ko pahle bhi padhi hun, bahut hin khubsurti se prem ko paribhaashit kiya hai, kaise samaaj kee paabandi zindgi kee pabandi ban jati hai. bahut shubhkamnayen.

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  5. jenny ji bahut-bahut shukriya..
    bal milta hai aapke sneh ko pakar

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  6. mai hindi k bhari-bharkam shabd to nahi likh sakta par teri sari rachnaye bahut aachi hai.

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