Thursday, August 20, 2009

मैं तेरा पिया नहीं

कह दिया सबसे, ग़म को पिया नहीं
मानते नहीं मैं तेरा पिया नहीं

जिंदगी को तलाशते-तराशते
पता चला अब तक जिया नहीं

तुम रूठो मैं मनाऊं फिर से
बहुत दिनों से मुहब्बत किया नहीं

जाँचूँ-परखूँ है ज़रुरत ही क्या
मैं राम नहीं तो तुम भी सिया नहीं

अब तक का हिसाब बराबर है शायद
उधार में मैंने मुहब्बत किया नहीं

आतीं हैं कि आना है जायेंगी कहाँ
सागर को आज-तक किसी ने दिया नहीं

8 comments:

  1. small & strong... kam shabdon me jyada bat... shandar..

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  2. hisaab kitaab baraabar hai shayad,
    udhaar me maine mohabbat kiya naheen...

    bahut khoob sagar sahab...

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  4. saagar ki gehrai ko koi kya de sakta hai sahi farmya hai apne waise apke muhabbat karne ka andaaz achha laga

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  5. जाँचूँ-परखूँ है ज़रुरत ही क्या
    मैं राम नहीं तो तुम भी सिया नहीं

    kya baat hai..bahut khoob..

    जिंदगी को तलाशते-तराशते
    पता चला अब तक जिया नहीं

    bahut hi khoobsoorat...sochne par majboor kar diya...

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  6. "Sagar ko aaj tak kisi ne diya nahi"
    This line is to deep in meaning.......bade pahunchi hui soch hai aapki Really I can't express it.............

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  7. bahut marmsparshi abhivyakti hai aapki!

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  8. na koisikwa na gila liya diya brabar,,,, kya likha h yar........chnd lafzo me khatam kr di puri reamayan???????????

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